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Jo Man Toota Aapana

Hardbound
Hindi
8126302593
2nd
2000
222
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₹155.00

जो मन टूटा आपना - प्रस्तुत है साहित्य अकादेमी सहित कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित असमिया के सुविख्यात कथाकार का यह उपन्यास 'जो मन टूटा आपना' । मन की अतल गहराइयों में पैठकर उसमें छिपे हर गुण-अवगुण, हर शक्ति, हर कमज़ोरी, हर सुन्दर-असुन्दर को ऊपर निकाल रखने और इस उपक्रम में अपने समकालीन समाज को आँखों-आगे प्रत्यक्ष रख देने की दुर्लभ क्षमता श्री शीलभद्र ने 'जो मन टूटा आपना' में दिखाई है। इस उपन्यास की कथा परिवेशगत यथार्थ की आकार-रेखाओं को उजागर करने के साथ ही उसके भीतर के बहुरंगी अर्थों को भी खोजती और व्यक्त करती है। 'जो मन टूटा आपना' में शीलभद्र जी ने अपने व्यापक अनुभवों की पृष्ठभूमि में व्यक्ति की मानसिक व्यथाओं और आसपास के वातावरण में छायी व्यर्थता का लेखा-जोखा पूरी कलात्मकता के साथ प्रस्तुत किया है। दरअसल जीवन की विविधताओं की पड़ताल करता यह उपन्यास अपने चरित्रों और प्रसंगों के माध्यम से जटिल मानवीय सम्बन्धों की एक विलक्षण अभिव्यक्ति है।

शीलभद्र अनुवाद महेन्द्र नाथ दुबे (Sheelbhadra Translated by Mahendra Nath Dubey )

शीलभद्र - असम के पश्चिमांचल के मणिपुर गाँव में सन् 1924 में जन्म। वास्तविक नाम रेवती मोहन दत्त चौधरी। गणित में उच्च शिक्षा प्राप्त कर असम के कॉटन कॉलेज में दो वर्ष अध्यापक रहे। फिर नौकरी छोड़ दी

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