Sheelbhadra Translated by Mahendra Nath Dubey
शीलभद्र -
असम के पश्चिमांचल के मणिपुर गाँव में सन् 1924 में जन्म। वास्तविक नाम रेवती मोहन दत्त चौधरी। गणित में उच्च शिक्षा प्राप्त कर असम के कॉटन कॉलेज में दो वर्ष अध्यापक रहे। फिर नौकरी छोड़ दी और शिक्षित समुदाय से एकदम भिन्न से प्रकृति के अनेक क्षेत्र शीलभद्र की कार्य-स्थली बने। पहले मकान बनाने की ठेकेदारी की, फिर एक समाचार-पत्र के सम्पादक हो गये। एक चाय बाग़ान के सहायक मैनेजर के रूप में भी रहे। और फिर असम इंजीनियरिंग कॉलेज में गणित के प्रोफ़ेसर रहकर 1982 में सेवानिवृत्त हुए।
शीलभद्र मुख्यतः कथा-साहित्य के रचनाकार हैं। असम की धरती से गहराई के साथ जुड़े उनके उपन्यास और कहानी-संग्रह असमिया साहित्य की थाती हैं। अब तक प्रकाशित उनके श्रेष्ठ उपन्यासों में— 'मधुपुर', 'आग मनीर घाट', 'आँहत गुरि', 'प्राचीर', 'गोधूलि' और 'अनुसन्धान' विशेष उल्लेखनीय हैं। श्रेष्ठ कहानी-संग्रह हैं— 'वास्तव', 'कोनो क्षोभ नाई', 'समुद्रतीर', 'तरुआ कदम्ब', 'प्रतीक्षा', 'मेजाज', 'उत्तरायण' आदि।