अनेक शरत् -
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात ओड़िया कवि और चिन्तक-विचारक डॉ. सीताकान्त महापात्र के यात्रा वृत्तान्त 'अनेक शरत्' को हिन्दी पाठक-समाज के लिए एक प्रीतिकर उपलब्धि कहा-माना जा सकता है। 'स्ट्रूगा कविता समारोह' में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए सीताकान्त जी ने युगोस्लाविया, रोमानिया और रूस की यात्रा के दौरान छोटी-सी अवधि में वहाँ के जीवन, समाज और संस्कृति को भरपूर कवि मन से देखा, जिया और उसे आत्मीय रूप से अभिव्यक्त किया है।
एक समर्थ कवि के इस यात्रा वृत्तान्त को समूची कविता-यात्रा या रागात्मक सांस्कृतिक यात्रा कहा जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यानी एक ऐसा यात्रा-वृत्तान्त जो अनन्त दूरियों के बीच मनुष्य और मनुष्य को एक करने की सार्थक कोशिश करता है; जिसमें गाँव, शहर, जंगल, पहाड़ के सुख-दुःख बोलते हैं और नदी, झरने, झील, सागर के शब्द चुपचाप अपने रहस्य खोलते हैं।—और कुल मिलाकर इन्द्रनील शारदीय आकाश पर बजती हुई इन सब की एक समवेत अनुगूंज है। शायद उसी अनुगूंज से साक्षात्कार कराती है सीताकान्त महापात्र की यह कृति ‘अनेक शरत्’!
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