Purudevacampu

Hardbound
Sanskriti
9789326354028
2nd
2018
428
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पुरुदेवचम्पू


प्रस्तुत संस्करण में महाकवि अर्हद्दास कृत पुरुदेवचम्पू, संस्कृत टीका, हिन्दी अनुवाद, विविध परिशिष्टों तथा विस्तृत प्रस्तावना के साथ प्रकाशित हो रहा है। पुरुदेवचम्पू संस्कृत साहित्य के विकास की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है। यह एक उत्कृष्ट चम्पू काव्य है। इसमें प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभनाथ, आदिनाथ या पुरुदेव का चरित्र गद्य और पद्य में वर्णित है। पद्य रचना में यह काव्य भारवि और माघ तथा गद्य में सुबन्धु और बाण की कृतियों से तुलनीय है।


कथा वस्तु की दृष्टि भी यह काव्य विशेष महत्त्वपूर्ण है । तीर्थंकर वृषभनाथ या पुरुदेव का जीवन अत्यन्त रोचक और उपदेशप्रद है। विशेषता यह, कि जैन साहित्य के अतिरिक्त वैदिक साहित्य में भी इसका संक्षिप्त वर्णन मिलता है। वृषभनाथ के पुत्र भरत चक्रवर्ती तथा बाहुबली के जीवन भारतीय सांस्कृतिक इतिहास के उज्ज्वल निदर्शन है। इन्हीं भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। बाहुबली की तपस्या भारतीय मूर्तिकला के लिए अदम्य प्रेरणा स्रोत रही है। 


इस प्रकार पुरुदेवचम्पू न केवल काव्य को दृष्टि से प्रत्युत भारतीय सांस्कृतिक इतिहास की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। विद्वान सम्पादक ने मूल ग्रन्थ के श्लिष्ट और क्लिष्ट पदों में छिपे अर्थों को संस्कृत टीका द्वारा उद्घाटित किया है। सरस हिन्दी अनुवाद से ग्रन्थ और भी सहज ग्राह्य बन गया है। भारतीय साहित्य और संस्कृति के अध्येता के लिए एक अनिवार्य कृति।

डॉ. पन्नालाल जैन (साहित्याचार्य) (Dr. Pannalal Jain (Sahityacharya))

डॉ. पन्नालाल जैन, साहित्याचार्य - साहित्याचार्य डॉ. पन्नालाल जैन एक प्रतिष्ठित जैन विद्वान थे। डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल ने उन्हें 20वीं सदी के 20 सबसे प्रतिष्ठित जैन विद्वानों में से एक माना है।

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