Digambaratva Aur Digambar Muni

Hardbound
Hindi
9788126351225
2nd
2017
226
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दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि


प्रस्तुत पुस्तक में दिगम्बरत्व के समर्थन में प्राचीन शास्त्रों के उल्लेखों और शिलालेखों तथा विदेशी यात्रियों के यात्रा विवरणों में से साक्ष्यों का संग्रह कर बड़ी गम्भीर खोज के साथ बाबू कामता प्रसाद जैन द्वारा लिखित यह पुस्तक पहली बार सन् 1932 में प्रकाशित हुई थी।


इसमें दिगम्बरत्व के सैद्धान्तिक और व्यावहारिक सत्य 'का प्रामाणिक विवेचन है। साथ ही, हरेक धर्म के मान्य ग्रन्थों से, चाहे वह वैदिक धर्म हो, ईसाई अथवा इस्लाम धर्म हो - इस विषय को पुष्ट किया गया है। क़ानून की दृष्टि से भी दिगम्बरत्व अव्यवहार्य नहीं है। इस बात के समर्थन में सुयोग्य लेखक ने किसी बात की कमी नहीं रखी।


दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि विषयक विवेचना में यह कृति हर दृष्टि से आज भी उतनी ही प्रामाणिक और उपयोगी है।


भारतीय ज्ञानपीठ को इस दुर्लभ कृति के प्रकाशन पर प्रसन्नता है।

बाबू कामताप्रसाद जैन (Babu Kamtaprasad Jain)

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