वामा - समकालीन कहानीकारों में ए. असफल एक ऐसे कहानीकार के रूप में जाने जाते हैं जिनकी लेखन शैली; कहानियों का अनुभव संसार तथा भाषाई सौन्दर्यबोध विशिष्ट छाप छोड़ता है। मानवीय सम्बन्धों को लेकर जो व्याकुलता, चिन्ता तथा लगाव उनकी कहानियों में है वह आज के विखण्डित होते मनुष्य समाज की सबसे बड़ी चिन्ता है। 'वामा' की कहानियाँ स्त्री जीवन के बहुआयामी रूपों से भी सम्बद्ध हैं, जो स्त्री के शील, सतीत्व, प्रेम, करुणा, दया, ममता, समर्पण, संघर्ष, तथा सम्बन्धों के प्रति प्रतिबद्धता आदि गुणों को रेखांकित करती हैं। जैसे-जैसे इन कहानियों का संसार हमारे सामने खुलता जाता है वैसे-वैसे कहानीकार का भावबोध तथा दृष्टि सम्पन्नता भी खुलती जाती है। ए. असफल की कहानियों के पात्र ज़िन्दगी से सीधे सरोकार रखते हैं। इन कहानियों में बौद्धिकता का बोझ नहीं है। ये दार्शनिकता से बँधी कहानियाँ न होकर भी जीवन दर्शन की भीतरी तहों को खोलने वाली कहानियाँ हैं। कुछ कहानियों में आंचलिकता की मिठास बरबस ही मन को छू लेती है। भाषा में आंचलिक शब्दों का प्रयोग उस पूरे परिवेश को सजीव बना देता है।
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