तेज़ाब - नये कहानीकारों में राजीव कुमार की अलग जगह है। उनकी कहानियाँ पूरी शान्ति के इस आरोप को रद्द करती है कि युवा कहानी में राजनीतिक, सामाजिक चेतना की कमी है। ये राजीव की कहानियों में लगातार हैं। राजीव कुमार की विशेषता है कि वह अपनी सामाजिक, राजनीतिक व्याख्याओं को मानवीय रिश्तों तथा संवेदन के सहारे स्पष्ट करते हैं तो उनके यहाँ चरित्रों, स्थितियों, भावनाओं को एक सजग आँख व्याख्यायित करती है। उनकी चर्चित कहानी 'तेज़ाब' प्रेम कहानी है लेकिन इसके धरातल पर वह जाति आधारित भारतीय सामाजिक संरचना का प्रत्याख्यान है। उदात्त और खूंख़्वार को समानान्तर रखते हुए राजीव 'तेज़ाब' को स्मरणीय कहानी बना देते हैं। राजीव की कहानियाँ मुख्यतः उस युवा वर्ग का जीवन है जो चमक-दमक वाले विकास में असफल और अकेला रह गया है। राजीव कुमार इन युवकों के दुख, संघर्ष, संशय को रूपाकार देते हैं, साथ ही उस विकास और प्रगति को भी कटघरे में खड़ा करते हैं जिसने अपने समय के ऊर्जस्वी मानव संसाधन को घूरे पर डाल दिया है। राजीव ने यह सब सहजता, सजगता और संवेदनशीलता के साथ अभिव्यक्त किया है। 'तेज़ाब' की कहानियों के युवा चरित्र स्थितियों के दबाव से अकेलेपन और निर्वासन की दुनिया में धकियाये जा रहे हैं। 'करीना कपूर की फ़ोटो', 'एलबम', 'कॉकरोच' जैसी कहानियाँ इसी सामाजिक दुर्घटना का बयान हैं। 'मृत्यु उत्सव' में मृत्यु के बहाने लालच, स्वार्थ का खुलासा है। पतन के गड्ढे में लोग लिप्सा के उल्लास में छलाँग लगा रहे हैं और जीवन के अन्त का जश्न मना रहे हैं। इस बिन्दु पर इस कहानी में मृत्यु एक सामाजिक एवं नैतिक मृत्यु में बदल जाती है। राजीव समकालीन कहानी के कई फ़ैशनों, नुस्ख़ों से एक सचेत अलगाव बनाते हैं। वैसे अधिक मुमकिन यह है कि उनकी वैचारिकता और समाज में लेखक की भूमिका को लेकर उनकी समझ के कारण यह अलगाव ख़ुद-ब-ख़ुद बन गया है। संक्षेप में, राजीव कुमार की कहानियों का यह पहला संग्रह 'तेज़ाब' न केवल राजीव के लिए विशेष है बल्कि इधर प्रकट हुई नयी सृजनात्मकता की समृद्धि के लिए भी ख़ास है। —अखिलेश
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