सेतु-बन्ध - यशोधारा मिश्र ओड़िया की परिपक्व और प्रतिष्ठित कथा लेखिका हैं। मुझे लगा कि जैसा उनका व्यक्तित्व सहज है, वैसे ही उनकी कथावस्तु और कथाशिल्प सहज है। वे कोई दावा नहीं करतीं, कोई चमत्कार पैदा करने की कोशिश नहीं करतीं, कोई असाधारणता नहीं साधतीं। जीवन के वास्तविक अनुभव उनके पास हैं। उनकी संवेदना गहरी और एक से अधिक स्तर की है। वे बाह्य जीवन को समझती हैं, तो मन की गुत्थियों को भी जानती हैं। मानवी सम्बन्धों की जटिलताओं को वे पकड़ती हैं। ऊपर से सपाट दिखने वाला जीवन भीतर से जटिल है। इस तरह की कथा-वस्तु को लेकर वे सहज ढंग से कहानी कह जाती हैं। इन कहानियों में तथ्यपरकता, संवेदना, सम्बन्धों की जटिलता, मन की ऊहापोह है। आत्मीय अनुभवों की वास्तविक कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ हिन्दी पाठकों को उपलब्ध हो रही हैं, यह ख़ुशी की बात है। —हरिशंकर परसाई
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