Ramayana Mahabharat : Kaal Itihaas Siddhant

Hardbound
Hindi
9788126314751
4th
2016
282
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रामायण- महाभारत - काल, इतिहास, सिद्धान्त - भारतीय संस्कृति और साहित्य के अध्येता एवं प्रसिद्ध विद्वान् डॉ. वासुदेव पोद्दार की नवीनतम कृति है— 'रामायण-महाभारत काल, इतिहास, सिद्धान्त'। यह तो निर्विवाद है कि वाल्मीकि रामायण और महाभारत भारतीय संस्कृति के आधार ग्रन्थ हैं। जिन्होंने यहाँ के इतिहास, यहाँ की सामाजिक संरचना और चिन्तन की कालधारा को सबसे अधिक प्रभावित किया है। रामायण जहाँ अपनी उच्चता और गरिमा में मानवीय जीवन की समग्रता का हिमालय है वहीं महाभारत हमारे सांस्कृतिक स्वरूप की गहन, गम्भीर और व्यापक हलचल का महासागर। इन दोनों महान ग्रन्थों की पूर्वापरता के विषय में शताधिक वर्षों से विश्व के इतिहासविदों में ऊहापोह रहा है। पाश्चात्य मनीषी और कतिपय भारतीय आलोचक महाभारत को रामायण से पहले की रचना मानते आ रहे हैं। इसके विपरीत डॉ. पोद्दार ने अपने शोध और अनुसन्धान के आधार पर रामायण और महाभारत युग की संस्कृति और सामाजिक सन्दर्भों का अत्यन्त सूक्ष्म दृष्टि से अन्तर स्पष्ट करते हुए रामायण को महाभारत से पहले की रचना सिद्ध किया है। अपने पक्ष की पुष्टि में उन्होंने महाभारत में आये उन सभी स्थलों को उद्धृत किया है जिनमें राम-कथा का उल्लेख है। डॉ. पोद्दार ने युक्तियुक्त एवं तथ्यपूर्ण समाधान प्रस्तुत कर रामायण और महाभारत के स्वरूप को भी परिष्कृत करने का सुन्दर प्रयास किया है। इस कृति के लेखन में डॉ. वासुदेव पोद्दार की अपनी समीक्षात्मक दृष्टि, विश्लेषण की प्रतिभा और विषय की समग्रता को प्रकट करने की क्षमता का पूरा-पूरा परिचय मिलता है। निश्चय ही यह कृति प्राच्य साहित्य के अध्येताओं को उद्वेलित कर इस दिशा में नये प्रकार से चिन्तन के लिए बाध्य करेगी।

वासुदेव पोद्दार (Basudeo Poddar )

डॉ. वासुदेव पोद्दार - भारतीय संस्कृति एवं साहित्य के प्रखर प्रवक्ता एवं विश्रुत विद्वान्। जन्म: 14 जून, 1935, कोलकाता। अध्ययन क्षेत्र: काव्य, दर्शन, संस्कृति, इतिहास के विविध क्षेत्रों में तुलना।

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