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Premchand Ki Bal Kahaniya (Part-1)

Hardbound
Hindi
9789326355469
2nd
2019
1st
64
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₹150.00

प्रेमचन्द की बाल कहानियाँ-1 - प्रेमचन्द की इन तीनों कहानियों का स्वर मनुष्य और पशु की गरिमा से जुड़ा है। गहरा प्रेम और समर्पण पशुओं में होता है और मनुष्य में भी। जहाँ समाज ऐसा होता है, उसका यश बना रहता है। प्रेमचन्द ने बताया है कि लाभ-लोभ, माया और दुष्टता के बीच प्रेम और करुणा से भरे मनुष्य जब तक रहेंगे, यह समाज और उसके भीतर प्रेम और करुणा के मूल्य रहेंगे और समाज सुन्दर होगा। प्रेमचन्द सुन्दर समाज चाहते थे और यही चाहत समाज के लिए ज़रूरी है। वह कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी।

मुंशी प्रेमचन्द (Munshi Premchand)

मुंशी प्रेमचन्द हिंदी के आधुनिक कथा शिल्पी कहे जाने वाले उर्फ धनपतराय का जन्म लमही के एक सामान्य परिवार में 31 जुलाई 1880 को हुआ था । उनके पिता का नाम अजायब राय और मां का नाम आनंदी देवी था । उनकी कल

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