प्रेमचन्द की बाल कहानियाँ-1 - प्रेमचन्द की इन तीनों कहानियों का स्वर मनुष्य और पशु की गरिमा से जुड़ा है। गहरा प्रेम और समर्पण पशुओं में होता है और मनुष्य में भी। जहाँ समाज ऐसा होता है, उसका यश बना रहता है। प्रेमचन्द ने बताया है कि लाभ-लोभ, माया और दुष्टता के बीच प्रेम और करुणा से भरे मनुष्य जब तक रहेंगे, यह समाज और उसके भीतर प्रेम और करुणा के मूल्य रहेंगे और समाज सुन्दर होगा। प्रेमचन्द सुन्दर समाज चाहते थे और यही चाहत समाज के लिए ज़रूरी है। वह कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी।
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