Patjhar Mein Tootee Pattiyan

Hardbound
Hindi
9788126317738
2nd
2009
104
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पतझर में टूटी पत्तियाँ -

गाँधीवादी विचारक, कोंकणी एवं मराठी के शीर्षस्थ लेखक और पत्रकार रवीन्द्र केलेकर के प्रेरक प्रसंगों का अद्भुत संकलन है 'पतझर में टूटी पत्तियाँ'। केलेकर का सम्पूर्ण साहित्य संघर्षशील चेतना से ओतप्रोत है।

'पतझर में टूटी पत्तियाँ' में लेखक ने निजी जीवन की कथा-व्यथा न लिखकर जन-जीवन के विविध पक्षों, मान्यताओं और व्यक्तिगत विचारों को देश और समाज के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया है। अनुभवजन्य टिप्पणियों में अपने चिन्तन की मौलिकता के साथ ही, इनमें विविध प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से मानवीय सत्य तक पहुँचने की सहज चेष्टा है। इस दृष्टि से देखा जाये तो यह कृति अपने पाठकों के लिए मात्र पढ़ने-गुनने की नहीं, एक जागरूक एवं सक्रिय नागरिक बनने की प्रेरणा देती है।

ये आलेख कोंकणी में प्रकाशित केलेकर की कृति 'ओथांबे' से चुनकर अनूदित किये गये हैं। अनुवाद किया है माधवी सरदेसाई ने, जो गोवा विश्वविद्यालय के कोंकणी विभाग में भाषा विज्ञान की वरिष्ठ अध्यापिका हैं।

यह महत्त्वपूर्ण कृति हिन्दी पाठकों को समर्पित करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है।

रवींद्र केलेकर (Ravindra Kelekar)

जन्म: 7 मार्च, 1925।छात्र जीवन में ही गोवा मुक्ति आन्दोलन में सहभागिता। केलेकर के ही शब्दों में, 'मैं असल में एक 'फाइटर' हूँ। मुझमें जो 'राइटर' दिखाई देता है वह उसी का प्रतिफल है।' कोंकणी साहित्यपरिष

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