पश्यन्ती -
पश्यन्ती के निबन्धों में धर्मवीर भारती की एक ऐसी बहुआयामी साहित्य-द्रष्टि मिलेगी जो इतिहास की हवाओं की पर हल्की से हल्की हिलोर पर संवेदनशील मुलायम पीपल पात की तरह काँप उठे, ग्रीक वीणा की झंकार भी दें, और खुले हुए, पाल की तरह तनकर तेज हवाओं को आत्मस्थ कर तूफ़ानों को चीरने का साहस-पथ भी निर्दिष्ट करे।
भारती जी ने समय-समय पर अनेक विषयों पर लिखा है, और जब जी भी लिखा है वह अत्यन्त विचारोत्तेजक रहा है। इसीलिए उसकी व्यापक चर्चा भी हुई है। ‘पश्यन्ती' उनके ऐसे ही कुछ निबन्धों का संकलन है। इन निबन्धों में मुखर व्यापक अध्ययन, प्रखर विश्लेषण, गहन चिन्तन, पैनी और ज्वलन्त शैली और मौलिक विवेचन का साहस—सब मिलकर एक अनूठे रस का संचार करते हैं। प्रस्तुत है इस बहुचर्चित कृति का एक और नया संस्करण।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review