Lokrangi Prem-Kathayen

Author
Paperback
Hindi
9788126340576
2nd
2012
480
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लोकरँगी प्रेम-कथाएँ -

'लोकरँगी प्रेम-कथाएँ' कहानी संकलन में कुछ प्रसिद्ध लोक कथाओं को शामिल किया गया है। ये कथाएँ लोक-जीवन और लोकव्यवहार के माध्यम से आंचलिक परिवेश में दाख़िल होती हैं और समस्त लोक आभा पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती हैं। साहित्य में आने वाली पीढ़ियाँ इन कथाओं को अपनी विरासत अवश्य मानेंगी। ये कहानियाँ भारतीय जनमानस का अविभाज्य अंग बन चुकी हैं। लैला मजनूँ, सोहनी महीँवाल, हीर राँझा, शीरीं फरहाद, नल दमयन्ती की कहानियाँ सैकड़ों वर्षों से हमारी चेतना में रच-बस चुकी हैं। यह संकलन इन्हीं कहानियों की स्मृति और अठखेलियों में रचा-बसा है।

रवीन्द्र कालिया (Ravindra Kalia)

रवीन्द्र कालिया जन्म : जालन्धर, 1938निधन : दिल्ली, 2016रवीन्द्र कालिया का रचना संसारकहानी संग्रह व संकलन : नौ साल छोटी पत्नी, काला रजिस्टर, गरीबी हटाओ, बाँकेलाल, गली कूचे, चकैया नीम, सत्ताइस साल की उम

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कुणाल सिंह (Kunal Singh)

कुणाल सिंह - 22 फ़रवरी, 1980 को कोलकाता के समीपवर्ती एक गाँव में जन्म। प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता से हिन्दी साहित्य में एम.ए. (प्रथम श्रेणी में प्रथम) के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ल

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