लता मंगेशकर : ऐसा कहाँ से लाऊँ -
डोगरी कवयित्री और हिन्दी की प्रसिद्ध लेखिका पद्मा सचदेव की एक महत्त्वपूर्ण कृति है- लता मंगेशकर : ऐसा कहाँ से लाऊँ। चार दशक से अधिक समय हो गया, जब अपने मुम्बई निवास में पद्मा जी की पहली भेंट स्वर-सम्राज्ञी लता मंगेशकर से हुई थी; और फिर तो धीरे-धीरे पद्मा जी उनके घर-आँगन की एक सक्रिय सदस्य ही बन गयीं एवं लता मंगेशकर उनकी 'लता दीदी'। लता जी की सहचरी बनकर पद्मा का समय- समय पर गाने की रिकार्डिंग्स के लिए स्टूडियो जाना, उनका मन्ना डे, मो. रफी, किशोर कुमार, हेमन्त कुमार, एस.डी. बर्मन, नौशाद, लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल जैसे बड़े-बड़े गायकों और संगीतकारों के साथ मिलना- जुलना, लता जी के लिए आयोजित समारोहों में व्यवस्था सँभालना आदि महत्त्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन उनके जीवन की दैनन्दिनी बन गया।
इस पुस्तक में लेखिका ने लता जी, लता की माँ माई मंगेशकर, छोटी दीदी आशा भोंसले तथा उनके सम्पर्क में आये प्रबुद्ध लोगों के प्रेरक-प्रसंगों की स्मृतियों के कुछेक मोती एक धागे में पिरोने का प्रयास किया है। उन्हीं के शब्दों में - बड़ी दीदी समुद्र हैं। उस समुद्र में से अँजुरी-भर जल लेकर मैंने उस समुद्र का अभिषेक करने का यत्न किया है।
प्रस्तुत संस्मरणात्मक कृति की भाषा सहज, सरल और रोचक है। आशा है, हिन्दी के सहृदय पाठक को यह कृति पसन्द आयेगी ।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review