खुदीराम बोस - देश की आज़ादी में अपने प्राणों की आहुति देने वाले खुदीराम बोस सबसे कम उम्र के क्रान्तिकारी थे। उन्होंने अपने छोटे से जीवन काल में वह कर दिखाया, जो सामान्य युवक के लिए कभी सम्भव नहीं होता। खुदीराम बोस अदम्य साहसी और अपार दृढ़ इच्छा शक्ति वाले युवक थे। उन्होंने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ होने वाले आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और क्रान्तिकारी कार्यों में लिप्त रहे। उन्होंने बम बनाना और अस्त्र-शस्त्र चलाना सीखा फिर क्रान्तिकारी गतिविधियों में जंगल-जंगल भटकते रहे। लेखक ने इन सभी घटनाओं का सुरुचिपूर्ण ढंग से वर्णन किया है। खुदीराम बोस के बारे में लिखते हुए लेखक ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि भाषा बोधगम्य हो और उन सभी घटनाओं को स्थान मिले, जिनके कारण वे छोटी-सी उम्र में क्रान्तिकारी बने और जब वक़्त आया तो देश की ख़ातिर हँसते-हँसते फाँसी का फन्दा भी चूम लिया। खुदीराम बोस युवा पीढ़ी के लिए एक प्रकाश-पुंज हैं, जो उनके जीवन लक्ष्य को आलोकित करता रहेगा।
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