Kourav Sabha

Paperback
Hindi
9788126320325
2nd
2010
372
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कौरव सभा - कौरव-सभा महाभारत का सबसे घिनौना और लज्जाजनक प्रकरण है जिसमें सम्मिलित हर व्यक्ति धर्मच्युत हुआ। कौरव-पाण्डव कोई भी इससे बच नहीं पाया। आज तो जगह-जगह कौरव-सभा बैठी है। अनुचित साधनों से संगृहीत काले धन ने राजनेताओं, प्रशासकों, पुलिसकर्मियों और छोटे-बड़े अन्य कर्मचारियों को ख़रीदकर पूरे समाज को ही भ्रष्टाचार के कगार पर ला खड़ा किया है। ऐसे में कौन कृष्ण किस-किस द्रौपदी की लाज बचाने के लिए भागेंगे? यह उपन्यास हमारे सामने कुछ ऐसे ही प्रश्न खड़े करता है। 'कौरव-सभा' दो भाईयों और उनके परिवारों की कहानी है। एक पक्ष किराये के गुंडों से दूसरे पक्ष पर स्वार्थ के लिए आक्रमण करवा देता है। फिर शुरू होती है मुक़दमेबाजी, पुलिस, प्रशासन और राजनेताओं का खेल, न्याय को ख़रीदने की कोशिश, वकीलों के हथकंडे, जो झुके नहीं उन्हें तोड़ने का यत्न। जीत किसकी होती है और किसकी होनी चाहिए—इसी द्वन्द्व को प्रस्तुत करता है यह उपन्यास।

फूलचन्द मानव (Phoolchand Manav)

प्रो. फूलचन्द मानव  16 दिसम्बर, 1945 को नाभा, पटियाला (पंजाब) में जन्म। पंजाबी यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से पंजाबी साहित्य में एम.ए. तथा पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला से हिन्दी साहित्य में एम.ए. और एम.फिल.।

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मित्तरसेन मीत (Mittarsen Meet)

मित्तरसैन मीत - जन्म: 20 अक्टूबर, 1952; बी.ए. आनर्स (गोल्ड मैडलिस्ट), एलएल.बी.। कृतियाँ: ‘अग्ग के बीज', 'काफला', 'तफ़तीश', 'कटहरा', 'कौरव सभा' (उपन्यास); 'पुनर्वास', 'लाभ', 'ठोस सबूत' (कहानी-संग्रह)। पुरस्कार-सम्मान:

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