Karvan Aage Barhe

Paperback
Hindi
9788126314737
4th
2008
144
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कारवाँ आगे बढ़े - राष्ट्रीय चरित्र पर ऐसी पुस्तक सम्भवतः देश की किसी भी भाषा के पास नहीं है। नयी पीढ़ी के हाथों में पहुँचकर तो यह मशाल का काम कर सकती है। इन अछूते प्रेरक निबन्धों में प्रचारक की हुंकार नहीं, सन्मित्र की पुचकार है जो पाठक का कन्धा थपथपाकर उसे चिन्तन की राह पर ले जाती है। वह सड़कों पर, स्टेशनों पर, दफ़्तरों में, घरों में, कहें पूरे राष्ट्रीय जीवन में कुरूपता देखता है और संकल्प करता है मैं इस कुरूपता से बचूँगा और दूसरे नागरिकों को भी बचाऊँगा। प्रगति पथ पर बढ़ने के लिए नागरिकों का कारवाँ तैयार हो जाता है। पुस्तक का हर पन्ना उस कारवाँ के लिए हरी झण्डी है।

कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'  (Kanhaiya Lal Mishr 'Prabhakar')

कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'  जन्म : 29 मई, 1906; निधन: 9 मई, 1995। हिन्दी के यशस्वी गद्य-लेखक, शैलीकार एवं पत्रकार स्व. 'प्रभाकर' जी की भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित बहुचर्चित कृतियाँ हैं—ज़िन्दगी मुसक

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