Kapatpasa

Hardbound
Hindi
8126307374
3rd
2005
110
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कपटपासा - अपने समय का कोई भी बड़ा कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से मनुष्य के केन्द्रीय प्रश्नों से साक्षात्कार करता और कराता है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त ओड़िया कवि सीताकान्त महापात्र की कविताएँ भी मनुष्य की गहरी संवेदनाओं और उसके अस्तित्व की जटिलताओं को निरन्तर अभिव्यक्त करती हैं। उनके इस नये संग्रह 'कपटपासा' की कविताओं में भी मानवीय चिन्ताओं के स्वर अपने वैभव के साथ उपस्थित हैं। 'कपटपासा' की कविताओं में सघन बिम्बों और भाषा-शैली के माध्यम से परम्पराओं का सजग मूल्यांकन और आधुनिक जीवन मूल्यों का प्रखर विश्लेषण तो है ही, मिट्टी-पानी की अन्दरूनी खनक और गन्ध को भी सहज ही महसूस किया जा सकता है। डॉ. महापात्र का विश्वास है कि अतीत और भविष्य को मिलाकर वैकल्पिक वास्तविकता का सृजन कविता के ज़रिये ही सम्भव है। सारी हताशा, दुःख और यन्त्रणाओं में उनकी कविता मनुष्य की स्थिति के गम्भीरतम आनन्द की तलाश है। उनका यह संग्रह आधुनिक भारतीय कविता के इसी प्रमुख स्वर का अन्यतम उदाहरण है।

सीताकान्त महापात्र (Sitakant Mahapatra )

सीताकान्त महापात्र आधुनिक भारतीय कविता के समर्थ कवि एवं अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मनीषी विद्वान । जन्म : सन् 1937 में ओड़िशा में । उत्कल, इलाहाबाद तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में शिक्

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