इन बिन... - डोगरी की सुप्रसिद्ध कवयित्री, हिन्दी कथाकार पद्मा सचदेव की नवीनतम कृति है—'इन बिन...'। पद्मा जी लिखती हैं—गुज़रे हुए वक़्तों में हैसियत वाले लोगों के घरों में काम करनेवाले नौकर-चाकर पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपने मालिकों के साथ रहते हुए उस घर के सदस्य जैसे हो जाते थे।... बहुत से घरों में तो बुजुर्ग हो जाने पर ये नौकर घरेलू मामलों में सलाह भी देने लगते थे... इन रिश्तों के और भी बहुत से पहलू हैं, पर मैं तो सिर्फ़ यह जानती हूँ कि आज भी इनके बिना घर-गृहस्थी के संसार से पार होना बड़ा मुश्किल है। पद्मा जी कहती हैं इस सफ़र में जो भी आत्मीयता से मिलकर साथ चले वे तो हमेशा से ही संग रहे, पर जो लोग राह में आगे-पीछे हो गये उन सभी की स्मृतियाँ भी मैंने अपने अन्दर परत-दर-परत सहेजकर रखी हुई हैं। उन्हीं के बारे में है यह पुस्तक 'इन बिन...'।
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