Desa-Pardesa

Kamleshwar Author
Hardbound
Hindi
9788126318438
3rd
2009
228
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देस-परदेस - हिन्दी के शीर्षस्थ कथाकार एवं चर्चित लेखक पत्रकार कमलेश्वर की पच्चीस कहानियों का संग्रह है–'देस-परदेस'। कमलेश्वर की कहानियाँ मानव अस्तित्व की चिन्ता से जुड़ी होती हैं और हर कहानी इन्सानियत को बचाये रखने की लड़ाई में कोई बयान देती नज़र आती है। प्रेमचन्द के बाद कमलेश्वर की कहानियों में वह मुखर पक्षधरता है जिसके कारण कोई लेखक समय के बदलाव के बावजूद प्रासंगिक बना रहता है। क़स्बे के आम आदमी की पीड़ा से अपने लेखन की शुरु करनेवाले कमलेश्वर ने कालान्तर में अपनी संवेदना का विस्तार विश्व समाज तक किया। उनकी कहानियों में समूचे विश्व में फैले आतंकवाद, साम्राज्यवाद, नस्लवाद और सामाजिक विखण्डन के विरुद्ध स्पष्ट प्रतिरोध है। 'देस-परदेस' की कहानियाँ कमलेश्वर ने अलग-अलग समय पर, अलग-अलग पृष्ठभूमि में लिखी हैं। इन रचनाओं के माध्यम से हम अपने आसपास की साधारण समस्याओं से लगाकर व्यापक वैश्विक प्रश्नों से टकराते हैं। स्वयं कमलेश्वर जैसे लेखक की वैचारिक और मानसिक यात्रा का यह बड़ा ही ख़ूबसूरत दस्तावेज़ है। आशा है, यह संचयन कमलेश्वर के कथा साहित्य में बड़े कैनवास पर रची कहानियों के कारण अलग से पहचाना जायेगा।

कमलेश्वर (Kamleshwar )

कमलेश्वर - जन्म: 6 जनवरी, 1932, मैनपुरी (उ.प्र.)। प्रकाशित रचनाएँ पचास से अधिक। 'कितने पाकिस्तान', 'एक सड़क सत्तावन गलियाँ', 'लौटे हुए मुसाफ़िर', 'डाक बँगला', 'समुद्र में खोया हुआ आदमी', 'तीसरा आदमी', 'काली आँ

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