बोहनी - प्रस्तुत संग्रह की कहानियों की रचनाकार भूमिका द्विवेदी ने हिन्दी की समकालीन दुनिया में बड़ी तेज़ी से अपनी पहचान बनायी और लगातार लिखा। एक नये रचनाकार के लिए साहित्यिक परिदृश्य पर बने रहना ज़रूरी होता है। वह अंग्रेज़ी साहित्य की अध्येता रही हैं और हिन्दी साहित्य की अनुरागी भी। मेरी उम्मीद है कि उसने कई कालजयी लेखकों को पढ़ा होगा और अपनी सृजनात्मकता के विकासक्रम में कुछ ग्रहण कर सकेगी। उसकी कहानियाँ हमेशा पेचीदा विषय उठाती हैं और नायिका को बिना किसी आदर्शवादी मुलम्मे के प्रतिरोधी भूमिका में पेश करती हैं। मैं राइटर बनना चाहती हूँ लेखिका के स्कूली दिनों का भावोच्छ्वास है। इस लेखिका के पास जीवन के तिक्त-मधुर अनुभवों का भण्डार है जिसकी छोटी-सी झलक इस संग्रह में आ पायी है। ख़ुशी का विषय है कि भारतीय ज्ञानपीठ जैसे प्रतिष्ठित संस्थान ने इनकी प्रतिभा को पहचाना। भूमिका को यदि एक लम्बी पारी खेलनी है तो धैर्य के साथ रचनाशीलता में पैठ बनानी होगी।——ममता कालिया
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