भीड़ में - वरिष्ठ कथाकार रूप सिंह चन्देल कभी इतिहास के विद्यार्थी नहीं रहे, लेकिन प्रारम्भ से ही इतिहास में उनकी गहरी रुचि रही है। यही कारण रहा कि अपने लेखन के प्रारम्भिक काल में उन्होंने समसामयिक परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए कुछ अछूते पात्रों पर केन्द्रित न केवल कुछ ऐतिहासिक कहानियाँ लिखीं बल्कि आगे चलकर शिवाजी, अजीमुल्ला खाँ और कर्तार सिंह सराभा जैसे क्रान्तिकारी महापुरुषों पर किशोर उपन्यास भी लिखे। ऐतिहासिक कथा-लेखन के विषय में विचार करते समय इस बात को अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि यह अत्यन्त कठिन कार्य है। सामाजिक रचनाओं में लेखक स्वेच्छानुसार कथावस्तु को प्रस्तुत कर सकता है, किन्तु ऐतिहासिक रचनाओं में वह मनमानी नहीं कर सकता। उसके समक्ष वे पात्र होते हैं, जिनके चरण कभी इस धरती पर थे और जिन्होंने अपने कार्यकलापों द्वारा इतिहास में अपना स्थान सुरक्षित किया। अतः यह आवश्यक होता है कि ऐतिहासिक लेखन में दृष्टि सतर्क हो। इतिहास के साथ छेड़छाड़ करना या उसे तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना भी लेखक के अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है। लेकिन एक ही ऐतिहासिक घटना को भिन्न-भिन्न लेखक अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत करते हैं और इसी में प्रत्येक की मौलिकता निहित होती है। इस आधार पर लेखक की रचनाएँ खरी उतरती हैं। रूप सिंह चन्देल के सभी पात्र पाठक पर एक अक्षुण्ण प्रभाव छोड़ते हैं। इसका कारण है उनका शिल्प और भाषा के प्रति उनकी सजगता। पात्रानुकूल भाषा में सहजता और अद्भुत पठनीयता है। संग्रह में चन्देल के चार आलेख भी सम्मिलित हैं और उन्हें पढ़ना किसी कथा से गुज़रने से कम नहीं।
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