11 अक्तूबर 1942 को जन्मे अमिताभ बच्चन की पहली 'फ़िल्म 'सात हिन्दुस्तानी' सन् 1969 में प्रदर्शित हुई थी; और केवल अटूट परिश्रम व वैविध्यपूर्ण अभिनय कर्म के बल पर लोकप्रियता का इतना विराट प्रभामण्डल उनके हिस्से आया कि अपने जीवनकाल में ही वे एक मिथक बन चुके हैं।
सदी के महानायक की इस जीवन गाथा का विशेष महत्त्व इसलिए भी है कि बच्चन परिवार की निकटतम मित्र, अत्यन्त संवेदनशील लेखिका पुष्पा भारती के द्वारा यह लिखी गयी है। बातें गिल्ली-डण्डा खेलने की उम्र की हॉ या अभिनय क्षेत्र के शुरुआती संघर्ष की हों, या जया भादुड़ी से विवाह की, या कुली फ़िल्म की शूटिंग के दौरान प्राणघातक चोट के कारण अस्पताल में बिताये दिनों की वे बातें जब सारे देश का चिन्ताकुल हृदय प्रार्थनाबद्ध हो गया था, या किशोरावस्था के घनिष्ठ मित्र राजीव गाँधी की बातें हों - सब कुछ पुष्पाजी ने बड़ी संजीदगी और संवेदना के साथ लिखी हैं।
हमारे समय के सर्वाधिक लोकप्रिय नायक के जीवन पर हिन्दी में छपी यह पहली और अकेली प्रामाणिक किताब है। क्योंकि पुष्पा भारती के ज़रिये पाठक खुद अमिताभ को सुनते हैं । जीवन, मृत्यु, राजनीति, परिवार, फ़िल्म व्यवसाय, ग्लैमर और साहित्य से जुड़े अमिताभ के सैकड़ों दुर्लभ अनुभव स्वयं अमिताभ जी के द्वारा बताये गये हैं। इसलिए अमिताभ बच्चन के अगणित प्रेमियों और प्रशंसकों के लिए तो यह किताब गीता या बाइबिल की तरह है। अनेकानेक मार्मिक और दुर्लभ प्रसंगों-संस्मरणों का ख़ज़ाना है यह जीवन गाथा। लोकप्रियता के सबसे ऊँचे शिखर पर खड़े हुए इस अभिनय सम्राट के साथ पुष्पा भारती द्वारा किये गये साक्षात्कारों को पढ़ते हुए मालूम होता है कि निजी जीवन और आचरण में भी यह शख़्स कितना सहज-सरल, विनम्र और संस्कारी है, रागात्मक और निष्कलुष है। बड़ा अभिनेता ही नहीं वह बड़ा इन्सान भी है।
-धीरेन्द्र अस्थाना
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