'वो काग़ज़ की कश्ती' में अंजु रंजन ने बाल्यकाल से लेकर युवावस्था और विद्यार्थी जीवन के अपने संस्मरणों को बहुत सरसता के साथ प्रवाहमान भाषा में लिपिबद्ध किया है। यह 35 अनुक्रमों में विभक्त है। उनके लेखन में सरलता और सरसता है । लेखन में कहीं भी बनावटीपन नहीं है। लेखिका ने अपने संस्मरणों में बालपन की निश्छलता, ग्रामीण परिवेश की जीवन्तता व सादगी तथा झारखण्ड प्रदेश की नैसर्गिक प्राकृतिक सुन्दरता के साथ नारी सशक्तीकरण के भी प्रश्न उठाये हैं।
- प्राक्कथन से
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