‘आस’ में बशीर बद्र की रचनात्मकता का उत्कृष्ट रूप मौदूज है। साहित्य अकादमी से सम्मानित यह संग्रह उनकी कुछ नई गज़लों के साथ पहली बार देवनागरी में प्रकाशित हो रहा है। अपनी तशीर में बशीर बद्र की गज़लें नन्ही दूब पर अटकी हुई ओस की बूँद और सर्दी में पेड़ की फुगनी पर उतरती हुई मुलायम धूप की तरहा है। यहाँ प्रकृति आदमी के एहसास का हिस्सा है। उन्होने शायरी को सर्वथा नए प्रकृति-बिम्बों से समृध्द किस है। लेकिन उनकी गज़लों में जो छाया-प्रकाश के रुओ-रंगों की सहरकारी है,उसकी तह में हमारे दौर के क्रूर सवाल भी मौजूद हैं।
बशीर बद्र (Bashir Badra)
बशीर बद्रनाम : सैयद मोहम्मद बशीर तख़ल्लुस बद्र
शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से)।
पुरस्कार : वर्ष 1969 में ग़ज़लों के प्रथम प्रकाशित संकलन, 'इकाई' पर उर्दू अकादमी उत्तर प्रदे