Pranon Mein Ghule Huye Rang

Hardbound
Hindi
9788170552628
2nd
2018
232
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इस संग्रह में रेणु की इतनी विधाओं में लिखी गयी रचनाओं को एक साथ प्रकाशित करने का उद्देश्य यह है कि इस संग्रह के द्वारा पाठकों को रेणु की 'बहुमुखी प्रतिभा' से परिचय एवं उनकी अप्रकाशित-असंकलित यानी अप्राप्य रचनाओं से पाठकों का साक्षात्कार एक ही साथ हो। कहानी, रिपोर्ताज़, नाटक, संस्मरण, निबन्ध, पत्र और पटकथा-ये सात विधाएँ सात रंग की तरह हैं, जो एक-दूसरे से अलग होते हुए भी अभिन्न हैं। इन सभी के द्वारा रेणु के प्राणों में घुले हुए सभी रंग एवं भाव प्रकट हुए हैं। कुछ रंग उदास, मटमैले हैं, तो कुछ चटक, कुछ पीले तो कुछ टह-टह लाल, कहीं-कहीं सफेद रंग दूर तक फैला दिखाई देता है, तो कभी अँधेरे की तरह काला रंग मन में घर करने लगता है। ...रेणु की ये रचनाएँ जीवन के एक-एक भाव को, एक-एक रंग को...यानी कि जीवन को समग्रता के साथ देखती, परखती और प्रस्तुत करती हैं। रेणु के लिए कोई भी रंग ख़राब नहीं है, वे एक ऐसे बड़े चित्रकार हैं, जो हर रंग से अपने भावात्मक तादात्म्य को स्थापित करता है।

भारत यायावर (Bharat Yayawar)

भारत यायावरजन्म : 29 नवम्बर, 1954, हज़ारीबाग ।अध्यापन : 1983 से चास महाविद्यालय में हिन्दी के व्याख्याता । 1994 में पाँच महीने सन्त कोलम्बा महाविद्यालय, हज़ारीबाग में अध्यापन। फ़रवरी, 2004 से विनोबा भावे

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भारत यायावर (Bharat Yayawar)

भारत यायावरजन्म : 29 नवम्बर, 1954, हज़ारीबाग ।अध्यापन : 1983 से चास महाविद्यालय में हिन्दी के व्याख्याता । 1994 में पाँच महीने सन्त कोलम्बा महाविद्यालय, हज़ारीबाग में अध्यापन। फ़रवरी, 2004 से विनोबा भावे

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फणीश्वर नाथ रेणु (Fanishwar Nath Renu)

फणीश्वर नाथ रेणु जन्म : 4 मार्च, 1921 ।जन्म-स्थान : औराही हिंगना, ज़िला पूर्णिया, बिहार ।राजनीति में सक्रिय भागीदारी। 1942 के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में एक प्रमुख सेनानी की भूमिका निभायी। 1950 में

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