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इक सफ़र साथ-साथ

दिव्या माथुर सम्पादक
कहानी
Hardbound
Hindi
9789387889224
1st
2018
395
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प्रवासी साहित्य की जिन विशेषताओं स्मृति, अस्मिता के सवाल, प्रकृति, स्त्री विमर्श, स्त्री-पुरुष सम्बन्ध, पीढ़ियों के संघर्ष व द्वन्द्व, सभ्यतामूलक अन्तर्द्वन्द्व, रंगभेद, यांत्रिकता पर चर्चा होती है; वे सब विशेषताएँ किसी सायास प्रयास के तहत नहीं, बल्कि घटनाओं, स्थितियों, परिवेश, मनःस्थिति, रोचक चरित्रों के माध्यम से इस संकलन में प्रस्तुत हुई हैं। यह प्रतिनिधि महिला रचनाकारों की प्रतिनिधि कहानियाँ हैं। लगभग सभी साहित्य में एक मुकाम हासिल किये हुए। तो ये भाषा और साहित्य के दिग्गज हैं। हिन्दी, उर्दू, ब्रिटेन, यूरोप, अमेरिका, कनाडा, मध्यपूर्व, चीन की प्रतिनिधि हिन्दी रचनाकार स्त्रियाँ इसमें एक स्थान पर हैं। हिन्दी साहित्य को प्रवासी महिला कथाकारों के जिस प्रतिनिधि संकलन की तलाश थी, वह यही है। संकलन की तमाम लेखिकाओं ने इस खूबसूरती और रोचकता से अपनी बात कही है, कि यह बातें और चरित्र केवल दस्तक नहीं देते, बल्कि आपके दिमाग में घर कर जाते हैं । यह कहानियाँ प्रवासी जीवन का रचनात्मक इतिहास प्रस्तुत करती हैं। अपने समय का असली आईना प्रस्तुत करती हैं। और यह आईना संघर्षों से निकली औरतों ने तराशा है, इसलिए प्रामाणिक है। प्रवासी भारतीय महिला कथाकारों के लेखन की यह ख़ुशबू आपकी साँसों में बस जाएगी। इस गुलदस्ते के सभी फूलों को प्रणाम। -अनिल जोशी

दिव्या माथुर (Divya Mathur)

दिव्या माथुर, वातायन- यूके की संस्थापक, रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट्स की फ़ेलो, आशा फ़ाउंडेशन की संस्थापक सदस्य, ब्रिटिश-लाइब्रेरी की 'फ्रेंड', पद्मभूषण मोटुरी सत्यनारायण लेखन सम्मान, वनमाली कथा सम्

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