जय प्रकाश सिंह द्वारा लिखित 'मेरे पिता त्रिलोचन : एक स्मृतिलेख' में उन्होंने अपने पिता के वंश के विषय में लिखा है। पिता त्रिलोचन जी के मित्र, कवि एवं लेखक, विष्णुचन्द्र शर्मा बहुत दिनों से उनकी जीवनी लिखने के लिए प्रेरित कर रहे थे लेकिन लेखक अपने पिता की जीवनी लिखने में स्वयं को असमर्थ, अक्षम पाता था।
सारी जीवनी पत्रों के हवाले से है। इतिहास के सुधी विद्यार्थी की वस्तुनिष्ठता बनाये रखने का प्रयास भी किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक वास्तव में जीवनी नहीं बल्कि इसमें उसके कुछ पक्षों को ही उजागर किया गया है।
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