Urdu Sahitya Ka Devnagri Mein Lipikaran : Kuch Samasyaein, Kuch Sujhav

Wagish Shukla Author
Hardbound
Hindi
9789352293674
2nd
2007
110
If You are Pathak Manch Member ?

उर्दू लिपि और देवनागरी लिपि मेँ प्रकटतः दो अंतर दीखते हैं और इन्हीं को विशेष महत्त्व चर्चा में मिलता रहा है। ये हैं, (1) देवनागरी बाएँ से दाहिने लिखी जाती हैं जब कि उर्दू दाहिने से बाएँ, और (2) 'देवनागरी में जैसा लिखा जाता है वैसा ही पढ़ा जाता है, जबकि उर्दू में लिखे हुए को पढ़ने की अनेक संभावनाएँ हैं । इसी को कुछ बदल कर कभी-कभी यह भी कहा जाता है कि देवनागरी एक पूर्ण लिपि है, उसमें सभी ध्वनियों के लिए चिह्न उपलब्ध हैं, जबकि उर्दू में ऐसा नहीं है।


ये अंतर ऐसे नहीं जिनका तकनीकी दृष्टि से विशेष महत्त्व हो । 'बाएँ से दाहिने' बनाम 'दाहिने से बाएँ' तो कोई मुद्दा ही नहीं है, या योँ कह लें कि मुद्रण का मुद्दा है जिससे लिप्यन्तरण का कोई संबंध नहीं है। जहाँ तक 'देवनागरी एक पूर्ण लिपि है' की बात है, इसकी सत्यहीनता इतनी प्रकट है कि इसके बारे मेँ बहुत गवेषणा की आवश्यकता नहीं; जो भाषाएँ देवनागरी में बराबर लिखी जाती रही हैं उनमें भी वैदिक संस्कृत से ले कर अवधी और भोजपुरी तक के उच्चारणों को उचित अभिव्यक्ति देने के लिए विशेष ध्वनि-चिह्न देवनागरी में जोड़ने पड़ते हैं। यह भी सच नहीँ कि 'देवनागरी में जैसा लिखा जाता है वैसा ही पढ़ा जाता है', क्योंकि हम लिखते कमल हैं किंतु प्रचलित मानक हिंदी में उसका उचारण कहीँ कमल भी हो सकता है और (ल् + अ) सहित कहीँ (जैसे कि कविता में) कमल भी। इस नाते हिंदी की कुछ प्रारंभिक रचनाओं में (उदाहरण के लिए 'परीक्षागुरु' उपन्यास में) 'सकता है' और 'उसका' की जगह 'सक्ता है' और 'उस्का' लिखने की प्रवृत्ति पाई जाती थी।


जहाँ तक उर्दू लिपि की बात है, उसकी कमियाँ जगजाहिर हैं और हिंदी में मनोरंजन का परंपरागत विषय रही हैं; लिखने और पढ़ने में कोई संबंध यदि है तो भारतीय भाषाओं की उर्दू वर्तनी में वह लुप्त सा लगता है।

वागीश शुक्ल (Wagish Shukla)

वागीश शुक्ल

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter