Sanchar Madhyam Lekhan

Hardbound
Hindi
9788181435903
2nd
2022
120
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प्रस्तुत पुस्तक में जहाँ लेखन के स्वरूप, इतिहास, रेडियो नाटक प्रविधि तथा टी.वी. नाटक तकनीक का विश्लेषण हुआ है वहीं साहित्यिक विधाओं की दृश्य-श्रव्य रूपांतरण कला व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा प्रसारित समाचारों के संकलन-संपादन और प्रस्तुतीकरण की प्रविधि के बारे में लिखा गया है। अंतिम अध्याय, संचार माध्यमों द्वारा प्रसारित विज्ञापनों की भाषा को परिभाषित करता है। समकालीन मीडिया 'ग्लोबल' हो गया है। मेटा-लैंग्वेज, मास लैंग्वेज का हिस्सा बनने लगी है। मास कल्चर मनोरंजन प्रदान कर रहा है तो साथ ही अनुक्रियाएँ भी सम्मिलित होकर प्रस्तुत हो रही हैं। सूचनाओं के साथ-साथ धारणाओं का संप्रेषण हो रहा है। स्वतंत्र मीडिया, समाज की बुनियाद मजबूत करने में सहायक बन रहा है, और जैसे-जैसे संचार माध्यमों की सीमाएँ बढ़ रही हैं वैसे-वैसे सूचनाओं के लिए माँग भी बढ़ती जा रही है। आज, मीडिया की विषय-वस्तु विश्लेषणात्मक और बहुस्तरीय हो गई है। मीडिया का नया युग जीवंत और उत्साहपूर्ण है। नए विचार, हर दिन, हर सप्ताह प्रसारित हो रहे हैं। मीडिया का अचानक तीव्र विस्तार, इसको, इसकी कार्य- शैली, तथा प्रविधि को समझने लिए विवश करता है।

मीडिया के सफ़र में हमसफ़र अपने मित्रों तथा 'वाणी प्रकाशन' के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।

-गौरीशंकर रैणा (भूमिका से)

गौरीशंकार रैणा (Gourishankar Raina)

गौरीशंकर रैणा जन्म : 5 फ़रवरी 1954, श्रीनगर (कश्मीर)।शिक्षा : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएच.डी. । दौयचे वैले बर्लिन तथा एशियन मीडिया कम्यूनिकेशन सेंटर सिंगापुर से टेलीविज़न नाटकों के निर

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