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नागार्जुन की कविता

आलोचना
Hardbound
Hindi
9788181434137
4th
2015
224
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नागार्जुन उन थोड़े-से कवियों में है, जो अपनी कविताओं से चुनौती पेश करते हैं। उनके साथ सबसे मजेदार बात यह है कि साहित्य-मर्मज्ञों के लिए अपनी कविताओं के जरिये वे चुनौती भले ही पेश करते हों, लेकिन खुद साहित्य में नहीं जीते। कविता लिखते समय उनके सामने श्रोता के रूप में बड़े-बड़े कलावंत उतना नहीं रहते, जितना साधारण लोग रहते हैं। इसलिए वे अनुभूतियों और अनुभवों के लिए इन लोगों के बीच इनका हिस्सा बनकर रहते हैं, और कविता लिखते समय अपनी अभिव्यंजना को इन लोगों की स्थिति, जरूरत और समझ के स्तर के अनुरूप ढालकर पेश करते हैं। कैसी भी उतार-चढ़ाव की परिस्थिति हो, कवि नागार्जुन जनता के साथ अपनी इस हिस्सेदारी में कटौती नहीं करते। उनकी कविताएँ इस बात का प्रमाण हैं कि जनता के साथ जीवित रहने वाला कलाकार ही साहित्य में जीवित रहते का हकदार बनता है। नागार्जुन की कविता


नागार्जुन के काव्य-विकास तथा उनकी कला-रचना से संबंधित आधारभूत समस्याओं पर विशद् रूप में प्रकाश डालने वाली प्रखर युवा आलोचक अजय तिवारी की महत्त्वपूर्ण आलोचना पुस्तक !

अजय तिवारी (Ajay Tiwari)

अजय तिवारी जन्म : 6 मई 1955, इलाहाबाद (मूलनिवास : ग्राम जगजीवन पट्टी, जौनपुर ।)शिक्षा : आरम्भिक शिक्षा इलाहाबाद; एम. ए., पीएच. डी. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली प्रकाशन : प्रगतिशील कविता के सौन्दर्य-मू

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