Dr. Vijayraghav Reddy

 डॉ. विजयराघव रेड्डी एक ऐसा व्यक्तित्व है जिसने हिन्दी शिक्षण और हिन्दी विश्लेषण को एक नयी दिशा दी है। आपने केन्द्रीय हिन्दी संस्थान को अपने जीवन के 40 वर्ष अर्पित किये। 1958 में 'हिन्दी शिक्षण पारंगत' के छात्र के रूप में प्रवेश ले कर विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए आप हैदराबाद केन्द्र के प्रोफ़ेसर प्रभारी पद से सेवा-निवृत्त हुए हैं।

डॉ. विजयराघव रेड्डी हिन्दी और तेलुगु दोनों विषयों पर समान अधिकार रखते हुए शोध विशेषज्ञ के रूप में प्रसिद्ध हैं। आपके प्रकाशित लेखों की संख्या लगभग 500 है। आपकी 50 पुस्तकें व्यतिरेकी भाषाविज्ञान, अन्य भाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण, तुलनात्मक साहित्य, शिक्षण सामग्री निर्माण पर हैं। 'मरीचिका' उपन्यास के अतिरिक्त आपने 15 पुस्तकों का तेलुगु से हिन्दी और हिन्दी से तेलुगु में अनुवाद किया है। आपको हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने अपनी सर्वोच्च उपाधि 'साहित्य वाचस्पति' प्रदान की है तथा मानव संसाधन विकास मन्त्रालय और अन्य सरकारी, ग़ैर-सरकारी संस्थाओं ने कई पुरस्कार दिये हैं ।

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