Santvana Nigam
जन्म और शिक्षा : देहरादून। मातृभाषा बांग्ला और अपनी खुद की ज़ुबान हिन्दी । अंग्रेज़ी और भाषा विज्ञान में एम.ए.। लम्बे अरसे तक अध्यापन। पहले स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को अंग्रेज़ी साहित्य और बाद में कई दशकों तक विदेशी छात्रों को हिन्दी पढ़ाई। 1967 से हिन्दी में कहानियाँ लिखीं जो धर्मयुग, सारिका आदि पत्रिकाओं में छपीं। तीस साल से दिल्ली की ‘अभियान' नामक नाट्यसंस्था से जुड़ी रहीं। पच्चीस के करीब बांग्ला नाटकों का हिन्दी में अनुवाद किया जो मंचित भी हुए। साहित्य अकादेमी के लिए उत्पल दत्त के तीन नाटक तथा रवीन्द्रनाथ ठाकुर का ‘अचलायतन' नाटक का अनुवाद किया। सम्प्रति तसलीमा नसरीन के उपन्यास ‘ब्रह्मपुत्र के किनारे का अनुवाद छपा है। उन्हीं का ‘निषिद्ध का हिन्दी अनुवाद। महाश्वेता देवी के चर्चित उपन्यास 1084 की माँ' का भी अनुवाद।