पटना : भूले हुए क़िस्से : अरुण सिंह ने बड़े गहन शोध, धैर्य और कलात्मक निपुणता से उन प्रतिनिधि घटनाओं और पात्रों का चयन किया है जो इस नगर-समाज के निर्णायक निर्माता रहे। यह पुस्तक पटना नगर की फिर से खुदाई करती है, जैविक खुदाई, ऐतिहासिक खुदाई- इस शहर के भीतर बसे भव्य जीवन-कक्षों का रोमान भरा प्रति-संसार प्रत्यक्ष करते हुए।
सम्राट अशोक के नौ अज्ञात पुरुषों की रोमांचक, कुछ-कुछ डरावनी, कथा से चलकर दीन मुहम्मद और धरीक्षण तिवारी से होते हुए मलय रॉय चौधुरी और बाद तक का सफ़र तै करती हुई यह पुस्तक पाठक को बेचैन और विह्वल कर देती है। प्राचीन नगरवधू कोशा से लेकर 19वीं शताब्दी की तवायफ़ों तक शालीन और महान स्त्री-व्यक्तित्वों की गाथा अप्रमेय है
- भूमिका से
★★★
यह पुस्तक एक अनूठी कृति है। यह एक साथ इतिहास भी है, कथा भी और सामाजिक वृत्तान्त भी। लेखक ने पटना नगर को एक जीवित व्यक्ति की तरह देखा है, अनेक दिलों की धड़कन और कोशाओं के आन्तरिक तरंगों को बारीकी से दर्ज करते हुए, प्यार और कुछ कौतूहल से निहारते हुए। एक अर्थ में यह पुस्तक पटना नगर का कार्डियोग्राम है।
यहाँ शहर का भूगोल या रैखिक इतिहास नहीं, बल्कि शहर के बसने, उजड़ने, बाशिन्दों की ज़िन्दगी और आपसी रिश्तों की कथा-वार्ता है। किसी भी शहर को इस तरह भी देखा और समझा जा सकता है- उन लगभग विस्मृत पात्रों के माध्यम से जिनकी वजह से कोई जगह गुलज़ार हुई और जिनके गुज़र जाने से वीरान हुई, लेकिन जिन्होंने शहर को एक नया रूप, नया रंग और दीर्घ आयु दी। और शहर के आज की सतह के नीचे वे सारे पात्र, उनका जीवन और फ़साने रत्नों की तरह दमक रहे हैं।
-अरुण कमल
प्रख्यात कवि
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