यह तेंडुलकर द्वारा रचित ‘चौपट राजा तथा अन्य बाल नाटक’ बच्चों के लिए लिखा नाटक है। इसकी शैली अति मनोरंजक तथा भाषा अति सरल है। इसमें चिड़िया का बंगला, चौपट राजा, ताशे वाला तीन कहानियाँ संकलित हैं। नाटक लिखते समय लेखक ने बाल मनोविज्ञान का विशेष ध्यान रखा है। भाषा बाल दर्शकों को गुदगुदाने में पूर्ण सफल है साथ ही बच्चों को शिक्षा देने का भी प्रयास किया गया है। ‘चिड़िया का बंगला’ के माध्यम से बच्चों को यही बताने का प्रयास किया गया है कि मानव को अपने समाज के अनुसार ही व्यवहार करना चाहिए, जो अपनी जड़ों से छूट जाता है उसका अस्तित्व ख़तरे में आ जाता है। ‘चौपट राजा’ में यथा राजा तथा प्रजा का अति सरस, सहज भाषा में वर्णन है। व्यंग्यात्मक रूप में लिखा यह नाटक अपनी शैली, भाषा के सहारे अपने उद्देश्य में पूर्ण सफल है। ‘ताशेवाला’ के माध्यम से गाँव के लड़कों की काम के प्रति चाह दिखाने का प्रयास है। गाँव का एक धनिक अपनी बेटी की शादी में गाँव के ताशेवाले की उपेक्षा कर शहर का बैंड बुलाने की कोशिश करता है लेकिन एक ताशेवाला सियार की नकली आवाज़ निकालकर, भूतों का भय दिखाकर शहरी बैंड को भगा देता है। तीनों नाटक अति मनोरंजक हैं।
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