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Ghasiram Kotwal

Paperback
Hindi
9789387409194
1st
2019
84
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₹100.00

'घासीराम कोतवाल' में एक ऐतिहासिक घटना के सन्दर्भ द्वारा एक काल विशेष की सामाजिक स्थिति और मूलभूत प्रश्नों को प्रस्तुत किया गया है। महाराष्ट्र में पेशवाओं के राजा नाना फड़नवीस, घासीराम कोतवाल, मराठा सरदार आदि विभिन्न सामाजिक इकाइयों के माध्यम से सामाजिक संरचना की जटिलताओं की ओर संकेत किया गया है। ये सभी इकाइयाँ अपनी तयशुदा भूमिकाओं के साथ सामाजिक व्यवस्था में प्रवाहित होती रहती हैं। यदि एक भी इकाई अपने निर्धारित मार्ग से हटती है तो व्यवस्था आन्दोलित हो उठती है। इस आलोड़न का बहुत ही रचनात्मक विवरण इस नाटक में दर्ज है। इस क्रम में रचनाकार न कोई समाधान प्रस्तुत करता है और न ही सही-गलत का कोई निर्णय देता है बल्कि सारे परिदृश्य का खाका खींच कर पाठकों को अपने अर्थ ग्रहण करने के। लिए छोड़ देता है। लोक नाट्य की शैली में लिखी यह रचना, लोक संगीत और अपने भदेस अन्दाज़ में एक दाहक परिवेश को बहुत ही रचनात्मकता से प्रस्तुत करती है।

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