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Urdu Ki Behtareen Ghazalen

Author
Paperback
Hindi
9789326351652
3rd
2016
152
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₹120.00

उर्दू की बेहतरीन ग़ज़लें -

आज ग़ज़ल के पाठक उर्दू से कहीं अधिक हिन्दी में हैं। ग़ालिब को ही लें, अब तक उनके दीवान की हिन्दी में अनेक टीकाएँ लिखी जा चुकी हैं और लिखी जा रही हैं। शायद ही हिन्दी का कोई कवि होगा, जिसने ग़ालिब का अध्ययन न किया हो, मीर को न पढ़ा हो, ज़ौक़ का नाम न सुना हो। हिन्दी में पचास के दशक में प्रकाश पण्डित के सम्पादन में उर्दू शायरों की एक श्रृंखला प्रकाशित हुई थी जिसने हिन्दी के आम पाठकों का ध्यान खींचा था और देखते ही देखते उसके अनेक संस्करण प्रकाशित हो गये। आज हिन्दी के लगभग समस्त प्रकाशकों ने ग़ज़लों के संकलन प्रकाशित किये हैं जो पाठकों में ख़ूब लोकप्रिय हैं। अक्सर लोग यह कह कर ग़ज़ल से पल्ला झाड़ लेते हैं कि ग़ज़ल हुस्नो-इश्क़ पर केन्द्रित एक रोमांटिक विधा है; जबकि सचाई यह नहीं है। ग़ज़ल की रवायत ही कुछ ऐसी है कि हर बात, वह चाहे कितनी भी गहरी क्यों न हो, प्रिय या प्रियतम के माध्यम से ही कही जाती है। यह ग़ज़ल की सीमा भी है और शक्ति भी।

रवीन्द्र कालिया (Ravindra Kalia)

रवीन्द्र कालिया जन्म : जालन्धर, 1938निधन : दिल्ली, 2016रवीन्द्र कालिया का रचना संसारकहानी संग्रह व संकलन : नौ साल छोटी पत्नी, काला रजिस्टर, गरीबी हटाओ, बाँकेलाल, गली कूचे, चकैया नीम, सत्ताइस साल की उम

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