सरमाया, कैफ़ी आज़मी -
उर्दू साहित्य में कैफ़ी आज़मी का व्यक्तित्व किसी परिचय का मोहताज नहीं। इसी अर्द्धशताब्दी के भयानक वातावरण में वह और उनकी शायरी कठिन परीक्षा से गुज़री है। कभी अवसरवादियों ने उन पर उँगलियाँ उठाई तो कभी धर्म के नाम पर कट्टरपन्थियों ने उन पर हमले किये। कभी प्रगतिशील विचारधारा के विरोधियों ने उन्हें अपना निशाना बनाया तो कभी आधुनिकता के ठेकेदारों ने उन पर ख़ाक उड़ायी। क़ानून के रखवालों ने उन पर पाबन्दी लगायी, और प्रगतिशील विचारधारा के आलोचकों तथा लेखकों ने भी उनके साथ न्याय नहीं किया। इसके बावजूद कैफ़ी आज़मी अपने ज़मीर और फ़न के प्रति ईमानदारी और खुलूस का रवैया अपना कर अपनी रंगारंग महान सभ्यता, राजनीति का शिकार होती हुई अपनी मज़लूम परन्तु जीवित भाषा और उसके साहित्य की क़ाबिले-कद्र रिवायत और अपने युग के इन्सान की आवाज़ बन गये। 'सरमाया' उनके जीवन भर की पूँजी है।
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