Bharat Bhoo-Khand Akhand

Paperback
Hindi
9789355183989
1st
2023
64
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भारत शब्द अग्नि तथा भरतवंशी जन के लिए ऋग्वेद में प्रयुक्त है। भारत का मूल शब्द 'भरत' और भरत का मूल शब्द 'भू' है, जो 'पुष्टि अर्थात् 'पोषण' का संवाहक है। २८ प्रकार की अग्नियों में २३वें स्थान पर पुष्टि का उल्लेख प्राप्त है। महाभारत में मनु संज्ञक अग्नि (अग्निश्चापि मनुर्नाम) एवं वैदिक परम्परा में भरत संज्ञक अग्नि (भरतोऽग्निरित्याहः (शतपथ ब्राह्मण), एवं अग्निर्वैभरत: (कौषीतकि ब्राह्मण) का सन्दर्भ है। पौराणिक परम्परा में प्रजा का भरण-पोषण करने वाली अग्नि को मनु एवं भरत कहा गया (भरणात् प्रजनां चैव मनुर्भरत उच्च्यते (मत्स्य पुराण)) भौत्य नामक १४वें मनु के पुत्र अथवा पौत्र थे भरत। भरत ने जिस भू-क्षेत्र पर राज्य किया, वह हिमालय से दक्षिण समुद्र तक विस्तृत था (हिमाह दक्षिण वर्ष)। भरत द्वारा पोषित एवं शासित क्षेत्र भारत नाम से विख्यात हुआ-निरुक्तवचनाच्यचैव वर्ष तद् भारत स्मृतम्।

भारत भूखण्ड के अखण्ड रूप का विवरण पौराणिक परम्परा में अनेकशः प्राप्त है, उनमें से विष्णु पुराणका यह श्लोक उल्लेख्य है - 

                  उत्तर यत्समुद्रस्य हिमादेश्चैव दक्षिणम्।

                 वर्ष तद्भारत नाम भारती यत्र सन्नतिः ।।

कालिदास का आसमुद्रक्षितीशानाम तथा संजान अभिलेख का प्रमाण, हिमाचलादास्थित सेसीमतः महत्वपूर्ण सन्दर्भ हैं । 

दीनबन्धु पाण्डेय (Deenbandhu Pandey)

(जन्म तिथि १७ दिसम्बर, १६४२) 'ज्ञान सिन्धु' उपाधि से विभूषित भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के विश्रुत विद्वान सदस्य : भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान परिषद्, भारत सरकार, दिल्ली वैश्विक अध्यक्

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