दीक्षित दनकौरी एक शालीन शायर, संचालक, सम्पादक और अच्छे गायक भी, क्या-क्या कहूँ? दनकौरी साहब बहुत ही शुभ सम्पदा के धनी हैं। आपकी शायरी के स्वाद का मैं अनुभवी हूँ। आपने कई शायरों का परिचय भी करवाया, उनसे मिलवाया। पीछे रहकर तेजवान को आगे करके आनन्द लेना और दूसरों को आनन्द बाँटना आपकी विशेषता है। साधुवाद... शायरी की प्रस्तुति और साथ-साथ आपका तरन्नुम आपकी प्रतिभा को और मुखर करता है। सबल होते हुए सरल और सरल के साथ कभी-कभी सजल भी, ये तीनों जीवन त्रिवेणी जैसा लगता है। दीक्षित जी के ग़ज़ल संग्रह सब मिट्टी के प्रकाशन पर बहुत-बहुत बधाई, शुभकामना। राम सुमिरन के साथ- - मोरारी बापू (तलगाजरड़ा, गुजरात)
नामचीन ग़ज़लकार दीक्षित दनकौरी जी की रचनाओं का मैं अनेक वर्षों से प्रशंसक रहा हूँ। आपकी ग़ज़लें हरदम अनूठी रही हैं, लेकिन मंच पर तो वे जादू ही ढा देती हैं। दिलकश तरन्नुम में ग़ज़लें सुनाकर इन्होंने विश्व भर के श्रोताओं को मोहित किया है। साथ ही वे काव्य-समारोहों के सधे व सफल संयोजक भी हैं। इनकी साहित्य-सेवा साधुवाद की पात्र है। दीक्षित दनकौरी जी के प्रथम चर्चित ग़ज़ल संग्रह डूबते वक़्त... की अपार सफलता के पश्चात इस दूसरे ग़ज़ल संग्रह सब मिट्टी के प्रकाशन पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। - बसंत चौधरी (काठमांडू, नेपाल)
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