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Gujrat Ke Nath

Paperback
Hindi
9789350726631
2nd
2016
380
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₹565.00
गुजरात के नाथ -
प्रख्यात गुजराती साहित्यकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी की ऐतिहासिक उपन्यासमाला 'गुजरात गाथा' का प्रस्तुत खण्ड, पिछले खण्ड के छूटे हुए कथासूत्र को पकड़ कर आगे बढ़ता है। इसमें 1096-1110 ई. के मध्य, दस वर्ष, का घटनाक्रम है। टन की शासनपीठ पर जयसिंह देव आसीन। एक शासक के रूप में वह अभी कच्चा और अनुभवहीन है, किन्तु राजमाता मीनलदेवी और महामात्य मुंजाल के पुष्ट अनुभवों, शासन कौशल और दूरदर्शिता के सहारे गुर्जर सोलंकी साम्राज्य की पताका फहरा रही है। घरेलू स्तर पर सब शान्त है, महामात्य मुंजाल ने सारे सूत्र एकत्र बाँध दिये हैं। जयसिंह के सौतेले भाई देवप्रसाद का पुत्र त्रिभुवनपाल लाट प्रदेश का दण्डनायक है। कर्णावती का शासन भार नागर मन्त्री दादाक के जिम्मे है और खंभात उदा मेहता के पास। सोरठ का भार सज्जन मन्त्री के पुत्र परशुराम पर है। यहाँ तक तो सब ठीक है, परन्तु बाहरी मोर्चा! एक ओर मालवा के अवंतिराज का दबाव और दूसरी ओर गुजरात के ही जूनागढ़ के दुर्द्धर्ष राजा दानवगण और उसके षड्यन्त्रकारी पुत्रों के कुचक्र। 'गुजरात के नाथ' का चौदह वर्षों का समय इन्हीं समस्याओं से जूझते, अनेक उपकथाओं, अनेक चरित्रों से होकर बीतता है। 'गुजरात के नाथ' का कथाफलक विस्तृत है और विस्तार की वजह से घटनाक्रम में अनेक मोड़ आते हैं, मानव-स्वभाव के अनेक रूपों से हमारा सामना होता है। इतिहास और कल्पना के धूपछाँही रंगों से चित्रित एक स्मरणीय कथाकृति!

कन्हैयालल माणिकलाल मुंशी (Kanhaiyalal Maniklal Munshi)

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी इतिहास और संस्कृति के प्रसिद्ध विद्वान और गुजराती के प्रख्यात उपन्यासकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का जन्म 29 दिसम्बर, 1887 को गुजरात के भणौच नगर में हुआ। उन्होंने

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