Ankhon Ankhon Rahe

Hardbound
Hindi
9788181436818
3rd
2020
104
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वसीम बरेलवी हमारे दौर के उन मशहूरो-मारूफ़ शायरों में हैं जिन्हें उनकी शायरी ने सुनने और पढ़ने वालों में महबूब बना दिया है। अपनी भाषा की सरलता और चिन्तन में ज़िन्दगी के आम सरोकारों से ग़ज़ल को जोड़कर वसीम साहब ने अपना रिश्ता एक सन्तुलन के साथ अवाम और अदब से जोड़ा है, जो बहुत बड़ी बात है। हमारे समाज को आज जिस शायरी की ज़रूरत है, मुहब्बत के रिश्तों को जिस आँच की ज़रूरत है और हमारे अदब को जिस सच्चाई की ज़रूरत है, वह सब कुछ वसीम साहब की शायरी में मौजूद है। जिस तरह इनकी शख़्सियत से हिन्दुस्तानी मिट्टी की महक फूटती है उसी तरह उनके कलाम से हमारी तहज़ीब का नूर झलकता है। मुझे खुशी है कि उनकी शायरी की यह पुस्तक उस दौर में प्रकाशित हो रही है, जब मैं भी मुशायरों के अदबी सफ़र में वसीम साहब का एक सहयात्राी हूँ।

वसीम बरेलवी (Waseem Bareilavi)

प्रोफ़ेसर वसीम बरेलवी को मुशायरों की कामयाबी की जमानत माना जाता है। वसीम बरेलवी के गीत, ग़ज़ल और दोहे हिन्दी-उर्दू के सभी काव्य-प्रेमियों व श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। वसीम बरेलवी अम

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