जोड़ा हारिल की रूपकथा - नयी पीढ़ी के प्रखर कथाकार राकेश कुमार सिंह हिन्दी कथा-लेखन में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके हैं। उनके विविध आयामी रचना संसार का साक्षी है प्रस्तुत कहानी संग्रह 'जोड़ा हारिल की रूपकथा'। ये कहानियाँ गाँव-क़स्बे, खेत-खलिहान तथा जंगल-पठार से लगाकर वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं जैसे अछूते क्षेत्रों और उत्तर आधुनिक समाज की विकृत होती जड़ों तक फैली हुई हैं। राकेश कुमार सिंह ने इन कहानियों में अपने परिवेश और समय को भिन्न-भिन्न कोणों से रेखांकित किया है। उन्होंने भारतीय जन के दुःख-दैन्य, आकांक्षाओं एवं जीवन संघर्ष को अपनी कहानियों में इस प्रामाणिकता के साथ उकेरा है कि इनसे गुज़रते हुए, बदलते समय की आहटों को साफ़-साफ़ सुना जा सकता है। भाषाई चुस्ती, शिल्पगत प्रयोग, मिट्टी के रंग गन्ध, लोकजीवन की गाढ़ी जीवन्त छवियों, गहन संवेदना एवं अभिव्यक्ति सामर्थ्य के कारण राकेश कुमार सिंह की ये कहानियाँ निःसन्देह पाठकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करेंगी।
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