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Deep Jaley Shankha Bajey

Paperback
Hindi
8126309202
9th
2003
204
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₹45.00

दीप जले शंख बजे - इन निबन्धों में ऐसे मानवों के संस्मरण हैं, जो साधन या शक्ति के कारण नहीं, साधना और भक्ति के कारण ही दीप्तिमान हैं; इन्हें ही कहा है दीप, जो प्रकाश फैलाते हैं और शंख, जो जागरण का सन्देश देते हैं। आत्मा की आरती के ये हैं कुछ दीप, कुछ शंख। दीप तो जलता है अँधेरे में कि हम देख सकें—जीवन की राह। और शंख, जो बजता है आरती-पूजा के साथ कि हम सुन सकें जागरण का घोष —गुणों के प्रति, चरित्र के प्रति, व्यक्तित्व के प्रति। दीप जले शंख बजे के माध्यम से लेखक ने कुछ ऐसी विभूतियों को अमर कर दिया है जो इतिहास की नींव के पत्थर बनकर रह गयी थीं।

कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'  (Kanhaiya Lal Mishr 'Prabhakar')

कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'  जन्म : 29 मई, 1906; निधन: 9 मई, 1995। हिन्दी के यशस्वी गद्य-लेखक, शैलीकार एवं पत्रकार स्व. 'प्रभाकर' जी की भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित बहुचर्चित कृतियाँ हैं—ज़िन्दगी मुसक

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