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Chhattisgarh Mein Mukti Sangram Aur Aadivasi

Sudhir Saxena Author
Hardbound
Hindi
9789387919662
1st
2019
360
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₹650.00

छत्तीसगढ़ में मुक्ति संग्राम - छत्तीसगढ़ में सम्पन्न हुए मुक्ति संग्राम में आदिवासियों की ऐतिहासिक भूमिका पर सबसे ज़्यादा तथ्यपरक और गवेषणायुक्त कोई अन्य ग्रन्थ होगा, इसमें सन्देह ही है। डॉ. सुधीर सक्सेना गहरी मानवीय चेतना के प्रतिबद्ध कवि हैं। वे निष्णात और प्रखर पत्रकार के तौर पर पहले से अपनी एक विशेष पहचान रखते हैं। उनके पास दोनों तरह की आशाओं और सहजें उपकरण है। कवि समाज की आन्तरिक गवेषणा करता है और पत्रकार बाहरी। दोनों तरह की दृष्टियों की सम्पन्ना से ही इस ग्रन्थ के रूप में एक तीसरी तरह की सम्पन्नता का सृजन हुआ है। असीम धैर्य और तथ्यों की प्रामाणिक खोजों के प्रति सचेत रहते हुए लेखक ने सन्दर्भों का संकलन करने में भी भरपूर उदारता बरती है। इतिहास लेखन जटिल कार्य है। वह लेखक को कल्पना और अनुमान के लिए ज़रा भी अवकाश नहीं देता है। उसे जो कुछ कहना होता है, उसे वह तथ्यों और प्रमाणों के साथ ही कह पाता है। हाँ, घटनाओं की समय, परिवेश और दृष्टि के माध्यम से भिन्न-भिन्न व्याख्याएँ ज़रूर होती हैं। आक्रामक और आक्रान्ता, उत्पीड़क और उत्पीड़ित तथा राष्ट्रीय और पर-राष्ट्रीय दृष्टियों की भिन्नता के कारण भी घटनाओं की व्याख्या में भिन्नता का तत्त्व अपना स्थान बनाता है। इसी कारण से अंग्रेज़ हाकिमों की दृष्टि में भारतीय स्वतन्त्रता सेनानियों और क्रान्तिकारियों को चोर लुटेरा था आतंकवादी समझा गया और भारतीय इतिहासकारों ने उन्हें स्वाधीनता संग्राम के योद्धा समाज के लिए संघर्ष करने वाले नायक और अपने उद्देश्य के लिए प्राणोत्सर्ग करने वाले शहीदों का दर्जा दिया। डॉ० सुधीर सक्सेना ने इतिहास की गहरी समझ के साथ छत्तीसगढ़ के मुक्ति संग्राम पर नितान्त नयी और खोजी नज़र डाली है और इधर-उधर पड़े, फुटकर तथ्यों को जुटाकर एक मुकम्मल इतिहास—ग्रन्थ की रचना की है। इसमें इतिहास लेखन की अनिवार्य और पारम्परिक शुष्क मरुभूमि नहीं है, बल्कि कथा-रस के निर्झरों से सराबोर घटनाओं और विवरणों में पाठक रमते हुए बैठता है। इस विचरण में वह इतिहास से सीधा साक्षात्कार करता है। ग्रन्थ का इतिहास-फलक विशाल है और वह औदार्य के साथ कल्चुरियों, मरहठों, पिंडारियों और अंग्रेज़ों के काल को समेटते हुए, उसका सम्यक विवेचन करते हुए और तज्जनित परिणामों से पाठकों की आत्मिक सहमति प्राप्त करते हुए अपने प्रवाह में आगे बढ़ता है। यदि वीर नारायण सिंह और हनुमान सिंह जैसे स्वातन्त्र्यचेता वीरों की गाथा प्रस्तुत की गयी है, तो उतने ही महत्त्व के साथ बहुत से कम जाने-पहचाने गये स्थानीय रणबाँकुरों के योगदान को भी रेखांकित किया गया है। अद्भुत मौलिकता, नयी और अचिन्हीं स्थापनाएँ तथा कहन-शैली की प्रांजल आधुनिकता ने इस ग्रन्थ को एक विशिष्टता और औपन्यासिक छटा प्रदान कर दी है। यह इतिहास लेखन के पारम्परिक तरीके पर प्रहार करता है और नयी राहें दिखाता है। आगे लिखे जाने वाले इतिहास ग्रन्थों को सुधीर के लिखे से प्रेरणा, आशा, शैली, शिल्प और दृष्टि मिलेगी।

सुधीर सक्सेना (Sudhir Saxena)

सुधीर सक्सेना - साहित्यकारिता के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर कविता, पत्रकारिता, अनुवाद, सम्पादन और इतिहास लेखन में एक साथ सक्रिय। जन्म लखनऊ में, किन्तु किसी एक शहर अथवा आजीविका से बँधकर नहीं रह सके

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