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भारतनामा भारत का नामकरण मैं भारतवर्ष हूँ ब्रह्माण्ड में मैं सभ्यता का अनवरत उत्कर्ष हूँ मैं भारतवर्ष हूँ मैं हूँ श्रमण, मैं ही द्रविड़ मैं सिन्धु, हिन्दू, हिन्दवी मैं ज्ञानगुरु, हूँ मैं सनातन शास्त्र-धर्म-विमर्श हूँ मैं भारतवर्ष हूँ मिट्टी को मेरी रौन्दते बिजली की भाँति कौन्धते ग़ज़नी कभी, ग़ोरी कभी बाबर कभी, सूरी कभी पुर्तगाल के व्यापारी थे अंग्रेज़ अत्याचारी थे सदियों तलक मेरे नाम को मेरी शान को पहचान को छलते रहे, पलते रहे मेरा नाम तक बदला मगर बस अब नहीं बस हो चुका कोहिनूर तो में खो चुका पहचान मेरी है ऋषभ के पुत्र से मैं अहिंसक युद्ध का परिणाम अनुपम हर्ष हूँ न मिटा सकता कोई मैं अनवरत उत्कर्ष हूँ मैं भारतवर्ष हूँ। डॉ. प्रभाकिरण जैन I Am The Land Of Bharata I am the eternal summit of civilisation in the universe I am the land of Bharata I am Shramana, I am Dravida I am Sindhu, Hindu, Hindavi I am the preceptor of knowledge; I am eternal I am the wisdom of the scriptures I am the land of Bharata Trampling on my soil Like flashes of lightning Ghazni, Gauri, Babar, Suri They all came here The Portuguese traders The English oppressors Deceived My name, my honour My very identity... And flourished They even changed my name But enough No more I have already lost the Kohinoor I am identified with the son of Rishabha I am the result of a non-violent war I am incomparable bliss No one can erase me I am the eternal summit I am the land of Bharata English Translation by Samyak Modi
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