यह जो है पाकिस्तान - 2004 के पाकिस्तान दौरे की तो बात ही कुछ और थी इतनी गर्मजोशी से लोग मिलते थे कि पूछिए, मत सिर्फ़ क्रिकेटर्स ही नहीं बल्कि आम लोग जो हिन्दुस्तान से क्रिकेट देखने गये थे, उनका इस क़दर स्वागत हुआ कि कोई ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगा। कई ऐसे लोग मिले जो गुजरात से जाकर पाकिस्तान में बस गये थे और वहाँ उनके रेस्टोरेंट थे। मुझे याद है कि तमाम हिन्दुस्तानियों को उन्होंने बग़ैर पैसे लिये खाना खिलाया। मुझे पता है कि पैसे बड़ी चीज़ नहीं हैं, यहाँ बात रिश्तों की थी। कई बार तो ऐसा लगा जैसे दो बिछड़े भाई आपस में मिल रहे हों। तब मैं यंगस्टर था, टीम में नया-नया आया था। हर कोई चाहता था लेकिन मुझे याद है कि जो भी मिलता था यही कहता था कि आप दोबारा पाकिस्तान आइयेगा। मुझे याद है कि कराची में एक लड़की आयी थी मुझसे मिलने, उसके साथ उसके वालिद भी थे। वो लड़की पेशावर से आयी थी और होटल के रिसेप्शन पर मुझसे मिलने के लिए बैठी रही। 8-10 घण्टे इन्तज़ार किया। जहाँ तक लाहौर में श्रीलंका की टीम पर हुए हमले की बात है, तो वो एक बुरी घटना थी, हर किसी के लिए। कोई इन्सान किसी भी देश, किसी भी धर्म का हो... दुनिया का कोई भी धर्म आतंकवाद नहीं सिखाता। —इरफान पठान
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