Shikargah

Hardbound
Hindi
8126309075
2nd
2005
156
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शिकारगाह - चर्चित कथाकार ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानियों में सामाजिक विडम्बनाओं के विभिन्न मंज़र उपस्थित रहते हैं। जटिल होते सम्बन्धों को वे अपनी संवेदनशील दृष्टि तथा नुकीली एकाग्रता से जाँचते-परखते हैं। पात्रों का द्वन्द्व और अकेले होते जाने की वेदना उनकी कहानियों को मार्मिक ही नहीं बनाती, अपितु भावनात्मक आरोह-अवरोह के साथ, प्रश्नाकुलता भी पैदा करती है। ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानियाँ बाज़ारवादी तन्त्र से संचालित होते नये समाज का अक्स और नक्श हैं। कहानियों के पात्र बेचैन और चिन्तातुर हैं तो इसलिए कि समाज इतना निस्संग और क्रूर क्यों होता जा रहा है। यही तनाव इन कहानियों में है।... सम्भवतः ये कहानियाँ, मनुष्य की गरिमा को बचाये रखने के मक़सद से लिखी गयी हैं। कहानियों की ख़ूबी इनकी विश्वसनीयता और भाषाई रवानी में है। सहज भाषा और शिल्प की प्रस्तुति तथा हृदय को गहराई तक छूनेवाली संवेदना ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानियों की एक अलग ही पहचान बनाती है। 'शिकारगाह' संग्रह की ये कहानियाँ, आशा है पाठकों को रुचिकर लगेंगी।

ज्ञानप्रकाश विवेक (Gyanprakash Vivek)

ज्ञानप्रकाश विवेक जन्म : 30 जनवरी 1949 (बहादुरगढ़)।तैंतीस वर्ष तक एक साधारण बीमा कम्पनी में नौकरी और सेवानिवृत्ति के बाद पूर्णकालिक लेखन ।प्रकाशित पुस्तकें : उपन्यास : गली नम्बर तेरह, दिल्ली दरव

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