Pyar Ke Do-Char Pal

Kamal Author
Hardbound
Hindi
9788126340439
1st
2012
120
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प्यार के दो- चार पल - पिछले दो-ढाई दशकों में हमारा समय इतनी तेज़ी से बदला है, इतने परिवर्तन हुए हैं, जितने कि उससे पहले के पचास-साठ सालों में नहीं। राजनीतिक उथल-पुथल, सूचना-संजाल, बाज़ार, विज्ञापन, भ्रष्टाचार आदि ने मानवीय संवेदनाओं को क्षतिग्रस्त किया है। भूमण्डलीकरण ने सर्वाधिक हमारी स्मृतियों को कुन्द किया है। ज़ाहिर है इसमें उसका स्वार्थ और मुनाफ़ा सन्निहित है। हम यदि एक ब्रांड को भूलेंगे नहीं तो दूसरे ब्रांड का प्रयोग क्योंकर करेंगे! ऐसे में हम मोबाइल, कैलेंडर, अलार्म क्लॉक जैसे गैजेट्स के एडिक्ट हो रहे हैं जो हमारे स्मृति विलोप के छद्म निवारण का रूप लेते जा रहे हैं। ऐसे में स्मृति संरक्षण का महत्त्व स्पष्ट है। कमल ने यही कार्य अपनी कहानियों के ज़रिये किया है। कमल सरीखे रचनाकार अपने लेखन का इस प्रकार सकारात्मक उपयोग करते हैं कि एक तरफ़ तो आस्वाद के स्तर पर ये कहानियाँ कहाँ से कमतर नहीं, दूसरी तरफ़ यही कहानियाँ वे सुरक्षित जगह हैं जहाँ लेखक अपनी बिसरती स्मृतियों को अक्षुण्ण रखता है। अपने युग के यथार्थ को समेकित करने की वजह से ये कहानियाँ एक समय के बाद दस्तावेज़ी महत्त्व हासिल कर लेंगी। ये कहानियाँ सरल सहज हैं, इतनी कि अपनी सीधाई के चलते आज के समय के चमकीले भड़कीले यथार्थ का एक एंटीडोट का रूप धारण कर लेती हैं। यहाँ लेखक किसी प्रकार की अतिरंजना व बनावटी लास्य का प्रयोग करने से अपने को जान बूझकर रोकता है। इस प्रकार कमल की ये हमारे समय और हमारे यथार्थ से लड़ती, मार्मिक विडम्बनाओं की संग्रहणीय कहानियाँ हैं। —कुणाल सिंह

कमल (Kamal )

कमल - जन्म: 1964। शिक्षा: एम.एससी. (वनस्पतिशास्त्र)। सृजन: 'आखर चौरासी' (उपन्यास नवम्बर 1984 की सिक्ख विरोधी हिंसा पर आधारित); उस पार की आवाज़ें (कहानी संग्रह)। कहानियाँ, नाटक, व्यंग्य, लेख आदि नया ज्ञानो

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