Premchand, Gorki Evam Loo Shun Ka Katha Sahitya

Hardbound
Hindi
9789387919136
1st
2019
208
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प्रेमचन्द, गोर्की एवं लू शुन का कथा साहित्य - कहानी अपने लघु कलेवर में तद्युगीन समाज का जीता-जागता प्रतिबिम्ब तो है ही एक जीवन्त उपदेष्टा है जो एक मोड़ देकर सत्य पथ पर अग्रसारित करती है। जहाँ तक हिन्दी कहानी साहित्य को प्रेमचन्द की देन है, वह कहानियों की विशाल निधि तथा कहानियों में निहित सच्चाई, आदर्श, यथार्थ और गहराई को देखते हुए मेरी समझ में वे अधिक जीवन्त और खरे दृष्टिगत होते हैं। लगभग यही बात गोर्की के विषय में भी कही जा सकती है। लू शुन तो अपनी कहानियों के लिए ही विश्व साहित्य के पटल पर आये। पुस्तक में इन तीनों महान लेखकों की संक्षिप्त तस्वीर प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी है जिसे साधारण पाठक भी ग्रहण कर सके और इन तीनों लेखकों की सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का आकलन तुलनात्मक ढंग से करने का प्रयत्न किया गया है। तीनों लेखकों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जिस संघर्ष की शुरुआत की थी वह सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक जीवन की थी। इन लेखकों के यथार्थवाद और समाजवादी यथार्थवाद का ज़िक्र होना भी आवश्यक था, क्योंकि तीनों पूँजीवादी एवं विदेशी शोषण के शिकार थे।

फणीश सिंह (Fanish Singh )

डॉ. फणीश सिंह - जन्म: 15 अगस्त, 1941 को ग्राम नरेन्द्रपुर, ज़िला सिवान (बिहार) में। एम.ए. तथा बी.एल. करने के बाद पटना उच्च न्यायालय में 1967 में वकालत आरम्भ। गोर्की और प्रेमचन्द के कृतित्व और जीवन-दृष्टिक

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